Thursday, March 28, 2024
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नेशनल हेराल्ड घोटाला: मां बेटे ने कोई कसर नही छोड़ी थी सम्पति हड़पने में,नीचे के नेता सिर्फ टट्टे सहलाते रह गए थे,धन्य डाक्टर सुब्रमण्यम स्वामी

 

नेशनल हेराल्ड : ईडी ने गांधी परिवार से जुड़ी कंपनी की 751.9 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोनिया गांधी परिवार की कंपनी यंग इंडियन की देश भर में फैली करीब 751.9 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की है। ईडी ने यह कार्रवाई हेराल्ड हाउस व कांग्रेस के अन्य प्रकाशन संस्थान से जुड़े मामले में की है। हेराल्ड हाउस का मामला न्यायालय में लंबित है और इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत उनके अनेक नजदीकी कांग्रेस पदाधिकारी जमानत पर हैं।
आर्थिक अपराध की जांच करने वाली एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने एक बयान में कहा है कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत की गई जांच के बाद यंग इंडियन और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 751.9 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच करने का आदेश जारी किया है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी और विशेषकर जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता प्राप्त होते ही दि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) बनाकर उसके माध्यम से नेशनल हेराल्ड और नवजीवन नामक अखबार शुरू किए। नब्बे के दशक में यह दोनों अखबार बंद हो गए। पर कांग्रेस के दौर में अखबार निकालने के नाम परभारत के कई शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में जमीनें आवंटित की गईं। अखबार बंद हो जाने के बाद एक योजना बनाकर दि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) का कर्ज उतारने के लिए गांधी परिवार ने यंग इंडियन नामक कंपनी बनाई और एजेएल को कांग्रेस पार्टी के फंड से 90.21 करोड़ रुपये का कर्जा दिया, फिर कर्जा न लौटा पाने पर यंग इंडियन को ही उसका मालिकान हक सौंप दिया। यानी 90.21 करोड़ रुपए पार्टी फंड से देकर सोनिया परिवार ने दि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की देश भर में फैली हजारों करोड़ की सम्पत्ति का मालिकाना हक प्राप्त कर लिया।

यह घोटाला वरिष्ठ अधिवक्ता व नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी लोगों के सामने लाए और जनहित याचिका दाखिल कर इसके मुख्यालय हेराल्ड हाउस को केन्द्र बनाया। उनका कहना था कि यंग इंडियन कंपनी बनाकर सोनिया परिवार ने गैरकानूनी तरीके से एजेएल का अधिग्रहण किया और इस प्रकार सोनिया परिवार और कांग्रेस के कुछ नेता देश भर में एजेएल से जुड़ी करीब 2 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति के स्वामी बन गए हैं। इसके बाद आनन फानन में एजेएल को फिर से जीवित कर नेशनल हेराल्ड और नवजीवन का फिर से प्रकाशन शुरू कराया गया है। पर यंग इंडियन के एजेएल पर अधिग्रहण के तरीके को लेकर आर्थिक अपराध का मामला इससे खत्म नहीं हुआ है।
उल्लेखनीय है कि न्यायालय में मामला जाने के बाद ईडी ने भी मामला दर्ज किया और वह कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, वर्तमान अध्यक्ष मलिल्कार्जन खड़गे, मोती लाल बोरा और अहमद पटेल सहित अनेक कांग्रेस नेताओं से पूछताछ कर चुकी है। ये सभी नेता सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं पर वहां से कोई राहत नहीं मिली है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत अनेक नेता इस मामले में निचली अदालत से जमानत पर हैं।

National Herald Case: क्या है नेशनल हेराल्ड केस, जिसको लेकर सोनिया-राहुल पर कस रहा शिकंजा

नेशनल हेराल्ड केस कोर्ट में चल रहा है और जांच ईडी कर रही है। एजेएल का स्वामित्व सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया के पास है। इसी को लेकर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने केस दर्ज करवाया है।

नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और उनके बेटे व सांसद राहुल गांधी बुरी तरह फंस चुके हैं। ईडी (Enforcement Directorate) मामले को लेकर लगातार दोनों से पूछताछ कर रही है।

इसको लेकर कांग्रेस का कहना है कि यह भाजपा की चाल है और जानबूझकर उनके नेताओं की छवि खराब की जा रही है। यहां तक कि कांग्रेस ने धरना-प्रदर्शन भी किए, जबकि यह स्पष्ट है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई मामले में वित्तीय अनियमितताओं की जांच लिए ही है। आइए समझते हैं क्या है नेशनल हेराल्ड केस और मामले में कैसे फंसे सोनिया और राहुल?

पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने शुरू किया था नेशनल हेराल्ड

देश की आजादी में महत्वपूर्ण कड़ी बनने वाले ‘द नेशनल हेराल्ड’ समाचार-पत्र की स्थापना पं. जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में की थी। यह अखबार तीन भाषाओं अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज के नाम से प्रकाशित किया जाता था। इसका प्रकाशन करने वाली कंपनी का नाम एजेएल (Associated Journals Limited) रखा गया।

स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं के साथ जुड़े होने के कारण इसकी पहचान राष्ट्रवादी समाचार-पत्र में होने लगी थी। उस समय इसमें प्रकाशित होने वाले लेख इतने प्रभावशाली साबित हुए कि अंग्रेज भी भयभीत हो गए और 1942 में इसके प्रकाशन पर रोक लगा दी थी।

नेशनल हेराल्ड केस- राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर आरोप

नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय ने समन भेजा है। आरोप है कि पूरे घोटाले की योजना कांग्रेस के गांधी परिवार ने बनाई थी, जबकि कुछ लोग इसे उस परिवार के खिलाफ ईशनिंदा का कृत्य बता रहे हैं, जिसका देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू से शुरू हुआ एक शानदार वंश था।
नेशनल हेराल्ड 1938 में जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा स्थापित एक समाचार पत्र था। इस पत्र का उद्देश्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की चिंताओं को व्यक्त करना था। इसे एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा प्रकाशित किया गया था, जिसके बाद यह आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी का मुखपत्र बन गया। एजेएल ने दो अन्य समाचार पत्र भी प्रकाशित किए, जिनमें से प्रत्येक हिंदी और उर्दू में था।
इस लेख में हम नेशनल हेराल्ड घोटाले पर चर्चा करेंगे कि इसकी शुरुआत कैसे हुई और इसमें कौन शामिल थे। तो चलो शुरू हो जाओ।

नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र

नेशनल हेराल्ड अखबार एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा प्रकाशित किया गया था, जो प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के दिमाग की उपज थी, जिन्होंने 1937 में 5,000 स्वतंत्रता सेनानियों के शेयरधारकों के साथ इस कंपनी की शुरुआत की थी। कंपनी किसी एक व्यक्ति की नहीं थी बल्कि 2010 में कंपनी के 1,057 शेयरधारक थे।

नेशनल हेराल्ड घोटाले की कहानी

2008 में, एजेएल ने नेशनल हेराल्ड अखबार की छपाई बंद कर दी। इसके पास कोई पैसा नहीं बचा था और कांग्रेस पर ₹90 करोड़ का कर्ज़ बकाया था। हम जिस कर्ज के बारे में बात कर रहे हैं वह कांग्रेस द्वारा समय-समय पर एजेएल को प्रदान किया गया ब्याज मुक्त ऋण था ताकि अखबार अपने कर्मचारियों को वेतन दे सके और अपना परिचालन चला सके। तो, इसके कारण, यह आरोप लगाया गया कि गांधी परिवार की अखबार में कोई वास्तविक रुचि नहीं थी; बल्कि, वे एजेएल की वास्तविक संपत्ति के लालची थे।

2010 में, गांधी परिवार ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नामक एक कंपनी शुरू की। लिमिटेड (YIL) और AICC को केवल ₹50 लाख का भुगतान करके AICC (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) से ₹90 करोड़ का बकाया ऋण (AJL द्वारा कांग्रेस को देय ऋण राशि) खरीदा।

अब, एजेएल पर कांग्रेस का जो कर्ज था, उसे यंग इंडियन को हस्तांतरित कर दिया गया। इसलिए, एजेएल को अब यंग इंडियन को ₹90 करोड़ का भुगतान करना होगा। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यंग इंडियन ने कैसे खेल खेला और एआईसीसी से नब्बे करोड़ का कर्ज सिर्फ पचास लाख में खरीद लिया।

उसी वर्ष एक महीने बाद, एजेएल ने अपने इक्विटी पूल का विस्तार किया और यंग इंडियन को शेयरों का एक बड़ा हिस्सा आवंटित किया, जिससे वह (यंग इंडियन) बहुसंख्यक शेयरधारक बन गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यंग इंडियन के पास भी पैसे नहीं थे, इसलिए एजेएल का अधिग्रहण करने के लिए उसने कोलकाता स्थित डोटेक्स नामक कंपनी से ₹1 करोड़ उधार लिया था? यह वह 1 करोड़ था जिसमें से ₹90 करोड़ का ऋण खरीदने के लिए (एआईसीसी) कांग्रेस को ₹50 लाख का भुगतान किया गया था।

नेशनल हेराल्ड विवाद कब शुरू हुआ?

आख़िरकार, 2011 में, जब AJL को घाटा हुआ। इसलिए, कंपनी की हिस्सेदारी यंग इंडिया को हस्तांतरित कर दी गई। पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण और इलाहाबाद एवं मद्रास उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू सहित एजेएल के कई अन्य शेयरधारकों ने आरोप लगाया कि जब यंग इंडियन ने एजेएल का अधिग्रहण किया तो उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया और शेयर वास्तव में उनके पिताओं के पास थे। उनकी सहमति के बिना 2010 में एजेएल को स्थानांतरित कर दिया गया था।

2012 में, बीजेपी और वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष शिकायत दर्ज की कि कांग्रेस धोखाधड़ी में शामिल थी और दावा किया कि वाईआईएल ने कंपनी के मुनाफे और संपत्तियों को हासिल करने के लिए कंपनी की संपत्तियों को “दुर्भावनापूर्ण” तरीके से “कब्जा” कर लिया। 2,000 करोड़ रुपये से अधिक.

उन्होंने यह भी कहा कि YIL ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली का अधिकार प्राप्त करने के लिए केवल 50 लाख रुपये का भुगतान किया, जो AJL ने कांग्रेस पार्टी को दिया था; यह राशि पहले अखबार शुरू करने के लिए ऋण के रूप में दी गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एजेएल को दिया गया ऋण “अवैध” था, क्योंकि यह पार्टी फंड से लिया गया था।

2014 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यह देखने के लिए जांच शुरू की कि क्या इस मामले में कोई मनी लॉन्ड्रिंग हुई थी।

फिर साल 2015 में खबर आई कि प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड मामले में अपनी जांच दोबारा खोल दी है

 

 

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