Friday, March 29, 2024
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अजीत सिंह हत्याकांड का पूरा लेखा जोखा: गिरधारी उर्फ डाक्टर उर्फ लोहार गिरफ्तार,22 गोलियां मारी,पूरा खेल व्हाट्सएप के सहारे

लखनऊ में मऊ के पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड में बड़ी कामयाबी, फरार इनामी शूटर गिरधारी दिल्‍ली से गिरफ्तार

अजीत सिंह की हत्या के मामले में फरार चल रहे मुख्‍य आरोपित गिरधारी शर्मा ने लखनऊ के सीजेएम कोर्ट में दी थी आत्मसमर्पण की अर्जी। 13 जनवरी को होनी थी सुनवाई। इससे पहले ही दिल्‍ली पुलिस ने आरोपित को दबोचा।

उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई पूर्व ब्लाक प्रमुख व आजमगढ़ के पूर्व विधायक सीपू सिंह के गवाह अजीत सिंह की हत्या के मामले में फरार चल रहे मुख्‍य आरोपित गिरधारी शर्मा उर्फ डाक्टर उर्फ लोहार को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी सोमवार को दिल्‍ली पुलिस ने की। उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरोपित का सुराग देने वाले को एक लाख का इनाम देने की घोषणा कर रखी थी। बता दें, आरोपित ने लखनऊ के सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण की अर्जी भी दी थी।

दिल्‍ली पुलिस ने छापेमारी कर दबोचा
अजीत सिंह की हत्या में शूटर के तौर पर गिरधारी का नाम सामने आने के बाद पिछले कुछ दिनों से दिल्ली पुलिस को उसके दिल्ली में ही छिपे होने की सूचना मिल रही थी। ऐसे में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच सहित कई टीमें गिरधारी का सुराग लेने में जुटी हुई थी। इसी क्रम में बाहरी उत्तरी जिले के स्पेशल स्टाफ की टीम को उसके रोहिणी से सटे शाहबाद डेरी इलाके में छिपे होने की जानकारी मिली तो उसके छिपने के ठिकाने पर छापेमारी कर उसे दबोच लिया। फिलहाल पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।

लखनऊ के सीजेएम कोर्ट में दी थी आत्मसमर्पण की अर्जी
अजीत सिंह हत्याकांड के आरोपित गिरधारी उर्फ डॉक्टर ने लखनऊ के सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण की अर्जी डाली थी। गिरधारी पर एक लाख का इनाम घोषित है। लखनऊ पुलिस आरोपित की तलाश में दबिश दे रही थी। गिरधारी के अचानक आत्मसमर्पण की अर्जी डालने के बाद से पुलिस महकमे में चर्चा का बाजार गर्म था। इसी बीच आरोपित को सोमवार देर रात में दिल्ली पुलिस ने दबोच लिया।

गिरधारी ने पुलिस का ध्यान भटकाने के लिए दी थी अर्जी
सवाल यह है कि जिस गिरधारी को पिछले कई महीनों से एसटीएफ के अलावा वाराणसी, आजमगढ़ और मऊ की पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी, उसे दिल्ली पुलिस ने दबोच लिया। कुछ लोग इसे साजिश का हिस्सा भी मान रहे हैं। माना जा रहा है कि पुलिस का ध्यान भटकाने के लिए गिरधारी ने कोर्ट में अर्जी दी थी। पुलिस का कहना है कि इनामी बदमाश की ओर से सीजेएम कोर्ट लखनऊ में अर्जी डाली गई थी। इस प्रकरण में 13 जनवरी को सुनवाई होनी थी। सरेंडर की अर्जी पड़ने की जानकारी मिलने के बाद अटकलों का दौर शुरू हो गया था।
ये है मामला
बता दें, छह जनवरी को मूलरूप से मऊ के मोहम्मदाबाद गोहना निवासी पूर्व ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि व आजमगढ़ के पूर्व विधायक सीपू सिंह के गवाह अजीत सिंह की विभूतिखंड के कठौता चौराहे के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अजीत बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के करीबी थे। हत्यारों ने अजीत को 22 गोलियां मारी थीं। अजीत आजमगढ़ के पूर्व विधायक सर्वेश सिंह की हत्या में गवाह थे। अजीत के साथी मोहर सिंह ने आजमगढ़ जेल में बंद कुंटू सिंह, गिरधारी और अखंड सिंह समेत अन्य के खिलाफ साजिश के तहत हत्या की एफआइआर दर्ज कराई थी।

पूरी साज़िश

Whatsapp कॉल और चैट से मैनेज हुई गैंगवार, जानें लखनऊ शूटआउट की इनसाइड स्टोरी
लखनऊ में अजीत सिंह शूटआउट की फुल प्रूफ साजिश व्हाटसएप कालिंग और चैट से रची गई। आजमगढ़ से छह जनवरी को शूटरों के रवाना होते ही साजिशकर्ता माफिया व मददगार सब एक दूसरे के सम्पर्क में रहे। यह सब व्हाटएसएप कॉल कर एक-एक चीज साझा कर रहे थे। रात में अजीत को गोलियों से छलनी करने के बाद नये मोबाइल और सिम का इस्तेमाल कर फिर व्हाटसएप और चैट से सब जुड़े रहे। लखनऊ के एक डॉक्टर से इलाज कराने के बाद शूटर को सुलतानपुर में सुमन अस्पताल में भर्ती कराने के बीच भी इस एप का खूब इस्तेमाल हुआ। इयही वजह रही कि पुलिस और एसटीएफ की सर्विलांस छह जनवरी को इनके चक्रव्यूह को भेद नहीं सकी।
सीसी फुटेज मिलने के बाद भी पुलिस को कुछ सुराग मिलना शुरू हुए थे। बाइक से लाल डस्टर गाड़ी बरामद होने तक पुलिस को शूटरों का कुछ पता नहीं चल रहा था। फुटेज से ही पुलिस को पता चला था कि एक शूटर घायल हुआ है। यह खुलासा हुआ जब पुलिस को रेहान मिला और सुलतानपुर के सुमन अस्पताल से कई जानकारियां हाथ लगी। इसके बाद जब कड़ी से कड़ी मिलायी गई तो चौंकाने वाले निम्न जानकारियां सामने आयी। इससे गैंगवार के बाद भागने और इलाज कराने की पूरी तस्वीर सामने आ गई जो कुछ यूं है….
लाल गाड़ी से ही घायल शूटर को अपार्टमेंट लाया गया

अब पता चला कि बस अडडे से शूटरो को लाल डस्टर गाड़ी में बैठाने घायल शूटर को पहले बस स्टेशन के पास ही एक अपार्टमेंट में छोड़ा गया। इसके बाद दो शूटरों को रोहतास अपार्टमेंट के पास उतारा गया। फिर पूर्वांचल से साजिशकर्ता ने लखनऊ में अपने करीबी वी. सिंह को व्हाटसएप कॉल की। इसके बाद वी. सिंह एक डॉक्टर को लेकर बस स्टेशन के पास अपार्टमेंट में घायल शूटर के पास गया। यहां शूटर का प्राथमिक इलाज किया गया। उसके सीने के नीचे दाहिने हिस्से को भेदती हुई गोली आर-पार हो गई थी। इस फ्लैट में पुलिस को खून के निशान भी मिले हैं। यहां डॉक्टर एन. सिंह ने शूटर का इलाज करने के बाद बताया कि इसे भर्ती कराना होगा। साजिशकर्ता ने निर्देश दिया कि लखनऊ में इलाज नहीं कराना है, तुम सुलतानपुर की तरफ बढ़ो, मैं बताता हूं।
डॉक्टर को व्हाटसएप कॉल इलाज के लिये
बाहुबली पूर्व सांसद ने सुलतानपुर स्थित अस्पताल के डॉक्टर को व्हाटसएप कॉल कर इलाज करने को कहा। इसके बाद ही वी. सिंह अपने एक अन्य साथी के साथ छह जनवरी की रात करीब ढाई बजे अपनी गाड़ी से लेकर निकल गये। पूरे रास्ते कहीं ये लोग नहीं रुके। सुमन अस्पताल में डॉक्टर ने लैंडलाइन में फोन कर कर्मचारी से भर्ती करने को कह दिया था। सात जनवरी की सुबह 5:18 बजे घायल शूटर की मनीष नाम से भर्ती दिखायी गई। उसके मोबाइल नम्बर वाले कॉलम में वी. सिंह ने अपना नम्बर लिखा था। शूटर को हर सुविधायें दी गई।
-वी. सिंह का मोबाइल भाई के पास मिला
सुलतानपुर से उसी दिन वी. सिंह लखनऊ आ गये। इस बीच ही उसे अपने घर से निकल जाने का निर्देश साजिशकर्ता ने दिया। इस पर वी. सिंह ने अपना मोबाइल भाई के पास रखवाया और खुद चला गया। आठ जनवरी की तड़के चार बजे एक फुटेज से वी. सिंह की गाड़ी एक फुटेज में दिख गई। पुलिस जब वी. सिंह के घर पहुंची तो वहां भाई मिला। सख्ती पर भाई ने वी. सिंह का मोबाइल पुलिस को दे दिया। इस मोबाइल की व्हाटसएप चैट जब देखी गई तो साजिशकर्ता, वी. सिंह के बीच  शूटर के इलाज की बात दिखी। इसमें पूर्व सांसद तीन दिन से चैट कर रहे थे। इसमें डॉक्टर से भी व्हाटसएप कॉल मिली। इसके बाद भाई लगातार पुलिस की निगरानी में है।
सारी साजिश व्हाटसएप के जरिये

रेहान और प्रिंस ने भी पुलिस को यही बताया कि शूटर मोबाइल पर लगातार मैसेज कर रहे थे। व्हाटसएप कॉल भी बीच में करते रहे। जब कहीं पर नेट गड़बड़ हो जाता था तो ये लोग झुंझला जाते थे। यही वजह थी कि जहां नेटवर्क ठीक आता था, वहां काफी देर गाड़ी रुकवाये रहते थे। वी. सिंह के मोबाइल से मिले ब्योरे से भी साफ हुआ है कि आजमगढ़ से शूटरों के चलते ही व्हाटसएप कॉल और चैट होने लगे थे। वाइस कॉल की ही नहीं गई।

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