Thursday, April 18, 2024
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मोदी सरकार का जबरदस्त फैसला: देश भर में आटा सस्ता होना शुरू,दलाल नेता और जमाखोरों की लग गयी,किसान तो बेच चुका गेहूं

गेहूं निर्यात प्रतिबंध से वैश्विक बाजार में हेराफेरी की कोशिशों पर लगेगी लगामः सूत्र

पाबंदी के बाद भारतीय गेहूं अब जरूरतमंद देशों को जाएगा.

Wheat Export Ban: सरकारी सूत्रों ने कहा, “निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कीमतों में हेरफेर के लिए भारतीय गेहूं की जमाखोरी के प्रयासों को नाकाम कर देगा. इससे खाद्य मुद्रास्फीति को भी कम करने में मदद मिलेगी.”

किसान तो बेच चुका है गेंहू,
जमाखोर और दलाल दबा कर बैठे है
एक पुरानी पार्टी के नेता अंतरास्ट्रीय दलाली में सालो से शामिल,
कतिपय किसान नेता भी करोड़ो का गेहूं छुपा कर बैठे थे

नई दिल्ली. गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से कुछ विदेशी कारोबारियों द्वारा वैश्विक बाजार में कीमतों में हेराफेरी के मकसद से भारतीय गेहूं की जमाखोरी की कोशिशों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. सरकारी सूत्रों ने कहा कि गेहूं के निर्यात पर रोक लगाकर भारत वैश्विक जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने गेहूं के स्टॉक का सबसे अधिक जरूरतमंद देशों के लिए उचित और जायज उपयोग सुनिश्चित करना चाहता है. सूत्रों ने कहा, “निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कीमतों में हेरफेर के लिए भारतीय गेहूं की जमाखोरी के प्रयासों को नाकाम कर देगा. इससे खाद्य मुद्रास्फीति को भी कम करने में मदद मिलेगी.”

उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक, चीन के कुछ व्यापारी वैश्विक बाजार में भारतीय गेहूं की कीमतों को लेकर हेराफेरी की कोशिश कर रहे थे. लेकिन इस पाबंदी के बाद ऐसा नहीं हो पाएगा और भारतीय गेहूं अब जरूरतमंद देशों को जाएगा. एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार, भारत ने बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के प्रयास के तहत गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 13 मई को जारी एक अधिसूचना में इस फैसले की जानकारी दी.

2021-2022 में भारत का गेहूं निर्यात 70 लाख टन
डीजीएफटी अधिसूचना के अनुसार, अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी. विदेशों से भारतीय गेहूं की बेहतर मांग के कारण वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का गेहूं निर्यात 70 लाख टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहा, जिसका मूल्य 2.05 अरब डॉलर था. गेहूं के कुल निर्यात में से पिछले वित्त वर्ष में लगभग 50 प्रतिशत हिस्से का निर्यात बांग्लादेश को किया गया था.

विपक्ष ने सरकार को घेरा
इस बीच, विपक्षी दल कांग्रेस ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने इस मुद्दे पर ‘यू-टर्न’ ले लिया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “जब प्रचार आपके फैसले को तय करते हैं, तो आपको नीतिगत दिवालियापन मिलता है.” पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, “गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना एक किसान-विरोधी कदम है. यह किसान को उच्च निर्यात कीमतों के लाभ से वंचित करता है. यह एक किसान विरोधी उपाय है और मुझे आश्चर्य नहीं है. यह सरकार कभी भी किसान के प्रति बहुत दोस्ताना नहीं रही है.

‘महंगाई पर रोक लगाने के लिए गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध’
हालांकि शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने यह कहते हुए इस कदम को सही ठहराया कि प्रतिबंध ‘सही समय’ पर और मुख्य रूप से मुद्रास्फ़ीति पर अंकुश लगाने के लिए लिया गया है. प्रतिबंध को जायज ठहराने के लिए वाणिज्य सचिव बी वी आर सुब्रह्मण्यम, खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय और कृषि सचिव मनोज आहूजा ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में गेहूं की आपूर्ति का कोई संकट नहीं है और यह कदम गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है. वाणिज्य सचिव ने कहा, ‘अंतिम बात यह है कि भोजन हर देश के लिए बेहद संवेदनशील चीज है क्योंकि यह गरीब, मध्यम और अमीर सभी को प्रभावित करता है.’ उन्होंने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में गेहूं के आटे की कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है.
‘कमजोर देशों को गेहूं मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध’
उन्होंने कहा कि सरकार पड़ोसियों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, “हमने पड़ोसियों के लिए रास्ता खुला छोड़ा है. हमने बड़ी संख्या में कमजोर देशों के लिए भी खिड़की खुली रखी है. मकसद यह है कि व्यापार का रुख जरुरतमंद, गरीब एवं कमजोर देशों की ओर मोड़ा जाये.” उन्होंने वित्त वर्ष 2022-23 के बारे में बात करते हुए कहा कि अनुमान के मुताबिक अब तक 43 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए अनुबंधित किया गया है. उन्होंने कहा कि इसमें से 12 लाख टन पहले ही अप्रैल और मई में निर्यात किया जा चुका है जबकि बाकी 11 लाख टन गेहूं आने वाले समय में निर्यात किए जाने की उम्मीद है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कीमतों की स्थिति में सुधार होता है तो सरकार इस फैसले की समीक्षा कर सकती है.

भीषण गर्मी के कारण गेहूं उत्पादन पर पड़ सकता है असर
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण वैश्विक गेहूं की आपूर्ति में व्यवधान के बीच निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है. रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक हैं. संवाददाता सम्मेलन में खाद्य सचिव ने कहा कि तुर्की और अमेरिका जैसे कई अन्य देशों ने गेहूं के निर्यात पर अलग-अलग प्रतिबंध लगाए हैं. गेहूं की फसल के बारे में उन्होंने कहा कि फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में यह लगभग 10.5-10.6 करोड़ टन होने की संभावना है, जबकि पहले यह अनुमान 11 करोड़ 13.2 लाख टन का था. पिछले फसल वर्ष में यह ल्रगभग 10.9 करोड़ टन से थोड़ा अधिक था. हालांकि कुछ विशेषज्ञों को डर है कि गेहूं का वास्तविक उत्पादन देश के गेहू उत्पादक इलाकों में पड़ी भीषण गर्मी के कारण इससे भी कम हो सकता है

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