Thursday, April 25, 2024
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एतिहासिक भ्रष्टाचार: हरा…पन की हद,800 रुपये की दवाई का बिल ढाई लाख,150₹ का क्रीम 14000 का,सब मामला सरकारी

सरकार द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी योजना राजस्थान गर्वमेंट हेल्थ स्कीम अब भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ चुकी है। कहने के लिए तो यह योजना तो लोगों के हित के लिए शुरू की गई थी, लेकिन हित की तो बात ही छोड़िए, यह योजना तो अब घोटालेबाजों के लिए घोटाला करने का जरिया बन चुकी है। आइए, बताते हैं वो कैसे?

नई दिल्ली। कभी सूबे में विकास की बयार बहाने के नाम पर सत्ता में काबिज होने वाली राजस्थान की गहलोत सरकार अब भ्रष्टाचार की पुरोधा बनने पर आमादा हो चुकी है। प्रदेश में आए दिन भ्रष्टाचार से जुड़े ऐसे मसले प्रकाश में आते रहते हैं जिससे राजस्थान की गहलोत सरकार का सीधा संबंध सामने आता है, जिसे लेकर बीजेपी भी हमलावर है। अब इसी बीच सूबे से एक ऐसा ही भ्रष्टाचार से जुड़ा मसला प्रकाश में आया है, जिसे लेकर अब बीजेपी आईटी प्रभारी अमित मालवीय सीएम अशोक गहलोत पर हमलावर हो चुके हैं। उन्होंने बाकायदा ट्वीट कर कहा कि, ‘राजस्थान के सरकारी अस्पताल में 800 की टैबलेट का बिल 3 लाख दिखाया जा रहा है। ये सारा चोरी का पैसा कहाँ जा रहा है? कांग्रेस मात्र दो प्रदेशों में सिमट के रह गई है, इसलिए इन राज्यों से जितना लूट सको, लूट लो की सोच के साथ काम कर रही है। मगर नुक़सान राजस्थान की जानता का हो रहा है’। फिलहाल, अमित मालवीय का यह ट्वीट अभी खासा तेजी से वायरल हो रहा है, जिस पर लोग अलग-अलग तरह से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नजर आ रहे हैं। आइए, अब आपको पूरा माजरा विस्तार से बताते हैं।

जानें पूरा माजरा

दरअसल, राजस्थान सरकार द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी योजना राजस्थान गर्वमेंट हेल्थ स्कीम अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। कहने के लिए यह योजना तो लोगों के हित के लिए शुरू की गई थी, लेकिन हित की तो बात ही छोड़िए, यह योजना तो अब घोटालेबाजों के लिए घोटाला करने का जरिया बन चुकी है। आइए, बताते हैं वो कैसे?

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जानें कैसे दिया जा रहा घोटाले को अंजाम

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्कीम के नाम पर राजस्थान के निजी अस्पातल मरीजों के तिमारदारों से दवाइयों की ऊंची कीमत वसूल रहे हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश का एक निजी अस्पताल 150 रुपए की जैंल को 14 हजार रुपए में बेच रहा है। जी हां…बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं आप और ऐसा कोई एक या दो दवाइयों के साथ नहीं, बल्कि कई दवाइयों के साथ हो रहा है। आपको बता दें कि प्रदेश के एक निजी अस्पताल ने अपनी पराकाष्ठा ही पार कर दी है। उसने मात्र 21 टेबलेट्स की कीमत 3 लाख रुपए बातकर उसे बेच दिया, जबकि बाजारों में इस टेबलेट की असल कीमत मात्र 800 रुपए है। यह पूरा माजरा जैसे ही प्रकाश में आया तो चिकित्सा महकमे के आलाधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया जिसके बाद इसकी जांच बैठाई गई। आइए, आगे जानते हैं कि आखिर जांच के बाद पूरे मामले का क्या स्टेटस सामने आया है।

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जांच में क्या सच्चाई आई सामने

आपको बता दें कि इस पूरे मामले को संज्ञान में लेने के बाद सतर्कता दल के जरिए जांच कराई गई जिसमें कई हैरानजनक खुलासे हुए हैं। जांच में सामने आया है कि जिले पेंशनर और अधिकारी प्रतिदिन 25 लाख रुपए की दवा खा रहे हैं। ध्यान रहे कि जैसे ही यह पूरा माजरा प्रकाश में आया तो सराकर ने सभी संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था, लेकिन इस पूरे खेल पर अभी-भी विराम नहीं लगा है। अभी दवाओं को ऊंची कीमत पर बेचे जाने का सिलसिला जारी है। विदित हो कि इससे पूर्व सतर्कता दल ने जांच में खुलासा किया था कि पहले इस भ्रष्टाचार में 50-50 हिस्सेदारी का खेल चल रहा था। यही नहीं, मेडिकल स्टोर वाले आधा पैसा हजम कर रहे हैं।

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