Thursday, April 25, 2024
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सावधान रहिये,जबर्दस्ती बार बार करवाया सी टी स्कैन मौत दे सकता है,मत करवाइये बिना सलाह, कैंसर दे देगा

कोरोना वायरस के कई रूप कई तरह से हमारे शरीर को प्रभावित कर रहे हैं। कई मामलों में आरटीपीसीआर टेस्ट भी कोरोना संक्रमण पकड़ नहीं पा रहा है। ऐसे में डॉक्टर लक्षणों के आधार पर लोगों को सीटी स्कैन की सलाह दे रहे हैं। इस तरह से देखें तो अभी कोरोना को पकड़ने के दो रास्ते सबसे ज्यादा कामयाब नजर आ रहे हैं – एंटीजन टेस्ट, आरटीपीसीआर टेस्ट और सीटी स्कैन। जब भी आप इन दोनों में कोई टेस्ट कराते हैं तो कुछ वैल्यू या यूं समझें कुछ अंक सामने आते हैं। आरटीपीसीआर में जो वैल्यू आती है उसे हम सीटी वैल्यू कहते हैं और इसी तरह से सीटी स्कैन में सीटी स्कोर बताया जाता है।
कैसे होता है आरटीपीसीआर टेस्ट
आरटी-पीसीआर का मतलब है रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज चेन रिएक्शन टेस्ट। बिना ज्यादा विज्ञान में जाए कहें तो इस कुछ इस तरह से समझ सकते हैं कि आपके शरीर में वायरस है या नहीं ये जानने के लिए डीएनए में चेन रिएक्शन करवाया जाता है। इस टेस्ट के जरिए किसी वायरस के जेनेटिक मेटेरियल को टेस्ट किया जाता है। कोरोना एक आरएनए वायरस है। टेस्ट के लिए इस्तेमाल होने वाला आरएनए मरीज के स्वाब से निकाला जाता है।

सीटी स्कोर और सीटी वैल्यू कैसे निकाली जाती है?
सीटी स्कोर से ये पता चलता है कि इंफेक्शन ने फेफड़ों को कितना नुकसान किया है। अगर ये स्कोर अधिक है तो फेफड़ों को नुकसान भी अधिक हुआ है और यदि स्कोर नॉर्मल है तो इसका अर्थ ये है कि फेफडों में कोई नुकसान नहीं हुआ है। इस नंबर को को-रेडस कहा जाता है। यदि को-रेडस का आंकड़ा 1 है तो सब नॉर्मल है, लेकिन यदि को-रेडस 2 से 4 है तो हल्का फुल्का इन्फेक्शन है लेकिन यदि ये 5 या 6 है तो पेशेंट को कोविड माना जाता है। वहीं, सीटी वैल्यू यानी साइकिल थ्रेशोल्ड, ये एक नंबर होता है। आईसीएमआर ने कोरोना वायरस की पुष्टि के लिए ये संख्या 35 निर्धारित कर रखी है। यानी 35 साइकिल के अंदर वायरस मिल जाता है तो आप कोरोना पॉजिटिव होंगे। 35 साइकल तक वायरस ना मिले तो आप नेगेटिव हैं।
सीटी स्कैन क्या है और कैसे काम करता है?
सीटी स्कैन का मतलब है किसी भी चीज को छोटे-छोटे सेक्शन में काटकर उसका अध्ययन करना। कोविड के मामले में डॉक्टर जो सीटी स्कैन कराते हैं, वो है एचआरसीटी चेस्ट यानी सीने का हाई रिजोल्यूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन। इस टेस्ट के जरिए फेफड़ों की एक 3डी यानी त्रिआयामी इमेज बनती है जो बहुत बारीक डिटेल्स भी बताती है। इससे ये पता चल जाता है कि क्या फेफड़ों में किसी तरह का कोई इन्फेक्शन है?

CT Scan क्‍या होता है, कैसे पता लगता है कोरोना, क्‍यों नुकसानदेह बता रहे हैं डॉक्‍टर

कोरोना महामारी की दूसरी लहर का लोगों में जबर्दस्‍त खौफ है. यही नहीं इस लहर के श‍िकार लोगों की संख्‍या इतनी ज्‍यादा है कि जांच से लेकर इलाज तक हरेक चीज आम लोगों को आसानी से नहीं मिल पा रही. इस बीच कोरोना की जांच में सीटी स्‍कैन भी जोर शोर से इस्‍तेमाल हो रहा. आइए जानते हैं कि‍ आख‍िर सीटी स्‍कैन होता क्‍या है और कोरोना जांच में इसका क्‍या मतलब है, क्‍यों डॉक्‍टर इसे नुकसानदेह भी बता रहे. एक्‍सपर्ट से जानें…

प्रतीकात्‍मक फोटो (Getty)

फिजिश‍ियन डॉ अश्‍व‍िनी मल्‍होत्रा ने aajtak से बातचीत में सीटी स्‍कैन के बारे में बताया. उन्‍होंने कहा कि सीटी स्कैन Computerized Tomography Scan है. ये एक तरह का थ्री डायमेंशनल एक्‍सरे है. टोमोग्राफ़ी का मतलब किसी भी चीज़ को छोटे-छोटे सेक्शन में काटकर उसका अध्ययन करना. कोविड के केस में डॉक्टर जो सीटी स्कैन कराते हैं, वो है HRCT चेस्ट यानी सीने का हाई रिजोल्यूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन. इस टेस्ट के जरिए फेफड़ों को 3डी इमेज के जरिये देखते हैं. इससे फेंफड़ों का इन्‍फेक्‍शन पता चल जाता है.

प्रतीकात्‍मक फोटो (Getty)

लेकिन डॉ अश्‍वनी मल्‍होत्रा फिजिश‍ियन कहते हैं कि‍ ब‍िना डॉक्‍टर की सलाह पर सीटी स्‍कैन कराने न जाएं या बि‍ना लक्षणों के भी इसे न कराएं. यही नहीं कोरोना संक्रमण के दूसरे तीसरे दिन भी इसे नहीं कराना है. जब तक डॉक्‍टर सलाह न दें, सीटी स्‍कैन नहीं कराना चाहिए. ये नुकसानदेह हो सकता है.

डॉ हर्ष महाजन, फाउंडर महाजन इमेजिंग कहते हैं कि‍ सीटी स्‍कैन का हमारे देश में बहुत दुरुपयोग हो रहा है, इसका बहुत ज्‍यादा एक्‍सेस किया जा रहा है. लोगों को ये जरूर पता होना चाहिए क‍ि अगर कोरोना के माइल्‍ड सिंप्‍टम्‍स हैं या एसिंप्‍टेमेटिक है तो सीटी स्‍कैन की कोई जरूरत नहीं है. वो कहते हैं कि मैं लगातार यह बात कहता रहा हूं कि दूसरों की बातों में आकर सीटी स्‍कैन कराने न पहुंच जाएं.

प्रतीकात्‍मक फोटो (Getty)

सोमवार को समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक बयान में एम्‍स डायरेक्‍टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी कहा था कि बार बार सीटी स्‍कैन कराना बड़े खतरे को बुलाना है. उन्‍होंने कहा क‍ि सीटी स्‍कैन से कोरोना मरीजों को कैंसर होने का खतरा भी हो रहा है. डॉ. गुलेरिया ने कहा रेडिएशन के एक डेटा का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि लोग तीन-तीन दिन में सीटी स्कैन करा रहे हैं.

प्रतीकात्‍मक फोटो (Getty)

होम आइसोलेशन में जरूरी नहीं सीटी स्‍कैन
डॉ गुलेरिया ने भी कहा था कि माइल्‍ड सिंप्‍टम वाले जिन मरीजों को होम आइसोलेशन की सलाह दी गई है, उन्‍हें भी अपनी तरफ से सीटी स्‍कैन नहीं कराना चाहिए. आपको पता होना चाहिए कि एक सीटी स्‍कैन से करीब 300 चेस्‍ट एक्‍सरे के बराबर रेडिएशन हमारे शरीर में पहुंचता है जो बार बार कराने पर शरीर को नुकसान भी पहुंचाता है.

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