Friday, April 19, 2024
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फ्रांस ने औक़ात दिखाई इमरान खान, पाकिस्तान और पाकिस्तानियों की,183 पाकिस्तानी मुसलमान देश से बाहर

फ्रांस ने इमरान खान और पाकिस्तान को उसकी औकात दिखा दी।
फ्रांस (France) ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि वो मुस्लिम देशों के दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है. फ्रांस ने पाकिस्तान (Pakistan) की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा (Ahmad Shuja Pasha) की रिश्तेदार सहित 183 पाकिस्तानी नागरिकों का विजिटर वीजा रद्द कर दिया है. इतना ही नहीं फ्रांस ने 118 पाकिस्तानियों को जबरन डिपोर्ट भी किया है. इमैनुएल मैक्रों  (Emmanuel Macron) सरकार की इस कार्रवाई को सीधे तौर पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की फ्रांस विरोधी बयानबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है.

वैध दस्तावेज होने का दावा
पेरिस में पाकिस्तान के वाणिज्य दूतावास ने इस खबर की पुष्टि करते हुए फ्रांस से पूर्व ISI चीफ की बहन को अस्थायी रूप से रहने की इजाजत देने का आग्रह किया है. क्योंकि वह अपनी बीमार सास को देखने के लिए फ्रांस आई हैं. पाकिस्तान का दावा है वैध दस्तावेज होने के बावजूद उसके 118 नागरिकों को जबरन डिपोर्ट किया गया है. वह इस संबंध में फ्रांसीसी अधिकारियों के साथ संपर्क में है.

बता दें कि पिछले महीने स्कूल में पैगंबर मोहम्मद साहब का कार्टून दिखाने पर पेरिस में एक एक युवक ने स्कूल टीचर की गला काटकर हत्या कर दी थी. इस पर राष्ट्रपति मैक्रों ने इस्लामिक आतंकवाद पर बयान दिया था, जिसके बाद से उनकी आलोचना हो रही है. खासकर  तुर्की और पाकिस्तान फ्रांस की सबसे ज्यादा आलोचना कर रहे हैं. इमरान खान ने तो बाकायदा मुस्लिम देशों को पत्र लिखकर पश्चिमी देशों के खिलाफ एकजुट होने की अपील कर डाली थी. उन्होंने कहा था कि इस्लामोफोबिया से ग्रस्त पश्चिम देशों की लीडरशिप को सही रास्ते पर लाने के लिए मुस्लिम देशों का एकजुट होना जरूरी है.

लेकिन, यहां हुए खामोश
इमरान खान ने फ्रांस को लेकर खूब हल्ला मचाया, लेकिन चीन के सामने उनकी बोलती बंद हो गई. हाल ही में चीन के टीवी चैनल चाइना सेंट्रल टेलीविजन (सीसीटीवी) पर प्रसारित टीवी सीरीज में पैगंबर मोहम्मद का चित्र दिखाया गया था. गौर करने वाली बात यह है कि न तो चीन प्रशासन और न ही टीवी चैनल ने इस दावे का खंडन नहीं किया. यानी चीनी अधिकारियों को इससे कोई समस्या नहीं है. लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. तुर्की के राष्ट्रपति भी इस मुद्दे पर खामोश रहे.

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