मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में लगभग डेढ़ साल का समय है लेकिन वर्तमान में हुए नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव ने भाजपा की नींद उड़ा दी है,ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा प्रवेश के बाद पार्टी ग्वालियर सम्भाग में खुद को अजेय मान बैठी थी और मनमाफिक टिकट बंटवारे को अंजाम दिया नतीजन सत्ता ही सरक गयी,और कमलनाथ ने बड़े पैमाने पर उलट फेर कर दिया।
यदि आपको याद होगा कि दिग्विजय सिंह सरकार भाग 2 में चंद अधिकारियों का एक समूह सरकार चला रहा था जहां जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नही थी और ग्रुप के बाहर के अधिकारियों को भी भटकना पड़ रहा था।दिग्विजय सिंह स्वयं को मेनेजमेंट गुरु और अजेय मान बैठे थे नतीजा सुश्री उमा भारती सरकार ने तीन चौथाई बहुमत हासिल किया था ,क्या वर्तमान परिस्थितियों में वही भाव पैदा हो गया है?
हां हो गया है यदि कमलनाथ द्वारा कराये गए सर्वे को माने तो,भाजपा तत्काल स्थिति में चुनाव करवाये तो भाजपा मात्र 72 सीट पर सिमट जाएगी।सर्वे की विशेषता यह है कि मालवा को छोड़ कर हर क्षेत्र में बहुत बुरी गत होगी।
कार्यकर्ताओं में असमंजस और हताशा इस कदर हावी है कि न तो मतदान करवाने में दर दर जा रहे ना कोई उत्साहजनक कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर रहे।
कमलनाथ ने लगभग 100 सीट पर प्रत्याशियों को विधानसभा की तैयारी को हरी झंडी दे दी है साथ ही अगली सूची 60 साठ प्रत्याशियों की आगामी माह तक तैयार हो जाएगी।
केंद्रीय भाजपा की भी चिंता बड़ी
भाजपा की केंद्रीय बॉडी में भी खासी चिंता है इस हेतु कुछ नव नियुक्तियों को हरी झंडी जल्द दी जाएगी और पूरा
कार्यक्रम केंद्र से तय होंगे नीचे बने हुए मकड़जाल से केंद्र ने सख्त ऐतराज़ दिखाया है।