यह मजार देहरादून के रिस्पना पुल के पास गली में कैलाश अस्पताल के आगे बनी है। इस पर रहने वाला आरोपित लगभग 9 माह पहले उस गली में अंडे बेचने आया था। जिस जगह वो अंडे का ठेला लगाता था उसी जगह धीरे-धीरे उसने अतिक्रमण शुरू कर दिया।
विरोध कर रहे लोगों का आरोप है कि इस जगह पर बिजली आदि भी बिना किसी मीटर या आधिकारिक अनुमति के लगाई जा चुकी थी। कुछ देर की बहस के बाद वो खुद ही मजार के आस-पास जमा किया गया अतिक्रमण हटाना शुरू कर देता है। पांचजन्य की रिपोर्ट के मुताबिक यह मजार देहरादून के रिस्पना पुल के पास गली में कैलाश अस्पताल के आगे बनी है। इस पर रहने वाला आरोपित लगभग 9 माह पहले उस गली में अंडे बेचने आया था। जिस जगह वो अंडे का ठेला लगाता था उसी जगह धीरे-धीरे उसने अतिक्रमण शुरू कर दिया।
मज़ार के अंदर खादिम के ठिकाने पर उबले अंडे मिलने का दावा किया गया। आरोपित मूल रूप से संभल जिले के मोहल्ला नवाबफेर, सरायतरीन का रहने वाला है। इस मजार का नाम उसने ‘पीर बाबा की दरगाह’ दिया था। पड़ोसियों के मुताबिक आरोपित अक्सर नशे में रहता था। अंडे बेचने वाले उस व्यक्ति ने धीरे-धीरे अपना हुलिया बदल लिया और वो टोपी और लंबा कुर्ता पहन कर मज़ार के खादिम के तौर पर खुद को दिखाने लगा। इस दौरान वो अपने परिवार को भी वहाँ ले आया।
ऑपइंडिया ने इस मामले में देहरादून के नेहरू नगर थाने के SHO से बात की। उन्होंने बताया, “मजार नहीं हटी है बल्कि मजार पर रहने वाला खादिम हटा है। वो अपने परिवार को वहाँ शिफ्ट कर चुका था। इसी के साथ उसके द्वारा नशा अदि करने की शिकायतें मिल रहीं थी। मजार पुरानी है और वो अपनी ही जगह पर मौजूद है।”