Saturday, April 20, 2024
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76 जवान बलिदान 11 साल पहले तब DIG थे नलिन; 22 जवान बलिदान आज, IG नक्सल ऑपरेशन हैं नलिन

छत्तीसगढ़ के बस्तर डिवीजन के के बीजापुर जिले में नक्सली हमले के बाद CRPF के एक अधिकारी का नाम चर्चा में है। ये हैं, नलिन प्रभात। नलिन इस समय IG नक्सल ऑपरेशन हैं। 11 साल पहले जब छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमला हुआ था तो वे DIG थे। उस हमले में 76 जवान बलिदान हो गए थे। बीजापुर जिले में शनिवार (3 अप्रैल 2021) को हुए हमले में 22 जवानों के बलिदान होने की पुष्टि हो चुकी है। 21 लापता हैं।
इस हमले के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। हमले के बावजूद असम में चुनाव प्रचार में व्यस्त रहने को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की आलोचना हो रही है। साथ ही नलिन प्रभात की दक्षता और उन पर मेहरबानी को लेकर भी सवाल किए जा रहे हैं। इंटेजिलेंस फेल्योर के भी आरोप लग रहे हैं। यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या सूचना तंत्र विफल रहा जिसके कारण नक्सलियों के मूवमेंट की सही जानकारी नहीं मिल पाई अथवा नक्सलियों द्वारा सुनियोजित तरीके से जानकारी देकर जवानों को फँसाया गया है।
इन सवालों के ठोस जवाब तो जाँच के बाद ही मिलेंगे। लेकिन यह तथ्य है कि 2010 में दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले के बाद प्रभात समेत दो अन्य अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया गया था। इन सभी पर लापरवाही और बिना पर्याप्त सुरक्षा के जवानों को जंगल में भेजने का आरोप लगा था। दंतेवाड़ा के ताड़मेटला में हुए इस नक्सली हमले में 76 जवान बलिदान हो गए थे।

ताड़मेटला का नक्सली हमला

6 अप्रैल 2010 को सुकमा जिले के ताड़मेटला में चिंतलनार कैंप के 150 जवान डीआईजी नलिन प्रभात के ऑर्डर पर एरिया सैनिटाइजेशन के लिए निकले थे। सैनिटाइजेशन के बाद वापस लौट रही टुकड़ी पर घात लगाकर नक्सलियों ने हमला कर दिया था। इस हमले में 76 जवान बलिदान हो गए थे। ऐसा अनुमान था कि लगभग 1000 नक्सलियों ने जवानों को घेरा था। यह भारत में नक्सल समस्या के इतिहास का सबसे बड़ा हमला माना जाता है।

सीआरपीएफ और गृह मंत्रालय की जाँच

ताड़मेटला के इस भयानक हमले के बाद सीआरपीएफ ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी बैठाई और गृह मंत्रालय ने मामले की जाँच के लिए ई. राममोहन कमेटी गठित की। जाँच कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया था कि नक्सलियों के पास सीआरपीएफ का वायरलेस मौजूद था, जिससे उनके पास जवानों के मूवमेंट की पूरी खबर थी। जाँच कमेटी की रिपोर्ट में प्रभात एवं अन्य अधिकारियों को ‘कमांड एण्ड कंट्रोल’ के फेल होने और ‘स्टैन्डर्ड ऑपरेशन प्रोसिजर’ के उल्लंघन का दोषी पाया गया था। सीआरपीएफ की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी और राममोहन कमेटी की जाँच के बाद डीआईजी नलिन प्रभात और दो अन्य अधिकारियों एके बिष्ट और संजीव बांगड़े को पद से हटा दिया गया था एवं उनका तबादला भी कर दिया गया था।

इस बार क्या हुआ

शनिवार को हुई मुठभेड़ के बाद भी भी मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा कि नक्सलियों ने अपनी मूवमेंट की जानकारी जान-बूझकर अधिकारियों के पास पहुँचाई थी। ताड़मेटला हमले के बाद इन्क्वायरी में प्रभात ने कहा था कि जिस डिप्टी कमांडेंट को साथ भेजा गया था, वह अपना कार्य ठीक से नहीं कर पाया। लेकिन अब वे खुद ही नक्सल ऑपरेशन के आईजी हैं। ऐसे में इंटेलिजेंस की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं के ऊपर थी।
नलिन प्रभात आंध्र प्रदेश कैडर के 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी है। उनको राष्ट्रपति का गैलेन्टरी अवॉर्ड भी मिल चुका है। यह अवॉर्ड जम्मू कश्मीर में 2008 के दौरान एक मुठभेड़ में चार आतंकियों को गिराने के लिए दिया गया था। लेकिन, दिलचस्प तथ्य यह है कि उस वक्त भी उनके पिछले रिकॉर्डों का हवाला देते हुए उन्हें यह अवॉर्ड देने पर सवाल उठाए गए थे।

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