Thursday, April 18, 2024
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क्या बाला साहेब ठाकरे ने इसीलिए दूर रखा था उद्धव को राजनीति से?,सत्ता की भूख,कांग्रेस एनसीपी से गठबंधन हिंदुत्व दर किनार,अब शिवसेना भी जाएगी हाथ से,

 

महाराष्ट्र राज्य विधानमंडल का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होगा इसलिए बीजेपी महाविकास अघाड़ी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। शिवसेना छोड़ने वाले विधायक भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ सकते हैं।

महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट है। आज से पहले ये लाइन इतनी बार लिखी जा चुकी है कि घिसने लगी थी। महाविकास अघाड़ी सरकार ने जब शपथ भी नहीं लिया था तभी उसके गिरने की खबर आई। कबी अचानक अजित पवार के समर्थन के साथ देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ले ली थी। इसके बाद भी किसी हवाई अड्डे के नाम पर तो कभी पंचायत चुनाव में जीत के बाद खबर आती रही कि मुंबई में सरकार गिरने वाली है। लेकिन बात आई-गई ही रह गई। पर इस बार महाराष्ट्र का सियासी संकट वाकई असली है। एकनाथ शिंदे और 40 विधायकों की बगावत की वजह से उद्धव ठाकरे की कुर्सी इस वक्त खतरे में है। इस बीच खबर है कि आज ठाकरे सीएम पद से इस्तीफा दे सकते हैं। महाराष्ट्र के सियासी संकट के बीच विधानसभा भंग किए जाने के संकेत भी मिल रहे हैं। महाराष्ट्र के सियासी परिस्थिति को देखते हुए लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि अब आगे क्या होगा? ऐसे में आपको बताते हैं कि क्या संभावित सीन बन सकते हैं इसके बारे में आपको बताते हैं।

महाराष्ट्र में 5 विकल्प
1.) एकनाथ शिंदे के समर्थन बीजेपी सरकार बना ले।

2.) शिवसेना बीजेपी के साथ सरकार बना ले।
3.) शिवसेना एकनाथ शिंदे को मना ले।

 

4.) एकनाथ शिंदे को शिवसेना बर्खास्त कर दे और बागी विधायक पार्टी में वापस लौट आएं।
5.) फ्लोर टेस्ट में महाविकास अघाडी गठबंधन की हार हो जाए।

महाराष्ट्र के सीटों का गणित
महाराष्ट्र विधानसभा में सदस्यों की संख्या 287 है। बहुमत के लिए 144 सदस्यों का समर्थन जरूरी है। महाविकास अघाड़ी सरकार को 169 विधायकों को समर्थन हासिल है। उधर बीजेपी+ के पास 113 सदस्य हैं। अगर 30 विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ जाते हैं तो उद्धव सरकार अल्पमत में आ सकती है।

इस तरह बदल सकती है महाराष्ट्र में सरकार

अगर इन विधायकों ने अपना बगावती रूख एकनाथ शिंदे के साथ जारी रखा तो महाराष्ट्र सरकार अल्पमत में आ जाएगी। हालांकि इन पर दलबदल कानून लागू नहीं होगा। शिवसेना के कुल 55 विधायक हैं और यदि पार्टी से 37 अलग हो जाते हैं तो फिर उन पर दल-बदल का कानून लागू नहीं होगा। ऐसे में  शिंदे कैंप को शिवसेना के 37 से ज्यादा विधायकों का समर्थन जुटाना होगा, यह कुल का दो तिहाई होगा जिससे दल विरोधी कानून के तहत बागी अयोग्य न घोषित हों। अगर शिंदे का गुट ये आंकड़े जुटा लेता है और भाजपा को सपोर्ट करने का फैसला करता है या उसके साथ विलय कर लेता है तो महाराष्ट्र में सरकार बदल सकती है।

शिवसेना भी गंवा देंगे उद्धव?
शिवसेना से बागी हुए एकनाथ शिंदे के साथ 40 विधायकों के असम के गुवाहाटी में होने का दावा किया जा रहा है। इस तरह उद्धव से ज्यादा एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना विधायक खड़े नजर आ रहे हैं। उद्धव के हाथों से महाराष्ट्र की सत्ता के साथ-साथ शिवसेना की बागडोर भी एकनाथ शिंदे छीन सकते हैं? उद्धव के हाथों से सरकार ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी भी निकलती नजर आ रही।

क्या विकल्प हो सकते हैं?
राज्य विधानमंडल का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होगा इसलिए बीजेपी महाविकास अघाड़ी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। शिवसेना छोड़ने वाले विधायक भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ सकते हैं। अगर वे जीतते हैं तो भाजपा सरकार बना लेगी। मीडिया रिपोर्ट्स की ख़बर के अनुसार, उम्मीद जताई जा रही है कि शिंदे अपने साथ शिवसेना के 30-35 विधायकों को बनाए रखने में कामयाब रहेंगे। इसका एक दूसरा विकल्प यह है कि अगर एमवीए सरकार विश्वास मत हासिल नहीं कर पाती है और सरकार भंग होती है तो केंद्र राष्ट्रपति शासन लगा सकता है और महाराष्ट्र मध्यावधि चुनाव की तरफ बढ़ जाएगा।

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