Thursday, April 18, 2024
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दाऊद इब्राहिम को पूरी गली में पीट पीट कर अधमरा करने वाला डॉन

कौन था करीम लाला? (Who Is Karim Lala)
करीम लाला मुंबई का अंडरवर्ल्ड डॉन (Mumbai Underworld Don) रहा पठान गैंग का मुखिया था। करीम साल 1911 में अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में पैदा हुआ था। लेकिन उसकी बादशाहत मुंबई में चलती थी। करीम लाला पश्तून समुदाय का आखिरी राजा भी कहा जाता है। पश्तून समुदाय का अफगानिस्तान में अलग ही भौकाल था। परिवार अफगानिस्तान में कारोबार करता था। लेकिन करीम अपनी किस्मत का सिक्का चमकाने भारत आ गया। करीम लाला का असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था। शेर खान भारत आया और सपनों की नगरी मुंबई पर छा गया। उस दौर में मुबंई बंबई हुआ करती थी।

मुंबई अंडरवर्ल्ड का पहला डॉन था करीम
लोगों का मानना है कि मुंबई अंडरवर्ल्ड (Mumbai Underworld Don) का पहला डॉन हाजी मस्तान मिर्जा था। वहीं मिर्जा जिसपर अजय देवगन ने फिल्म भी बनाई है। लेकिन ये बात सच नहीं है। जानकार बताते हैं कि सबसे पहला माफिया डॉन करीम लाला था। जिसे खुद हाजी मस्तान भी सलाम करता था। लाला गैर कानूनी धंधों का बॉस था। जो धंधा गैर कानूनी होता था करीम लाला का नाम उसमें जरूर आता था। इसके साथ वो जरूरतमंदों और गरीबों की मदद भी करता था। जिसके चलते उसकी अलग ही फैन फॉलोइंग थी।
दाऊद इब्राहिम को जमकर पीटा था
करीम लाला के बारे में वैसे तो कई किस्से हैैैं। लेकिन दाऊद इब्राहिम को पिटने वाला किस्सा वर्ल्ड फेमस है। दरअसल, करीम लाला ने एक बार डी कंपनी के सरगना दाऊद इब्राहिम को लात-घूसों से जमकर पीटा था। जानकार बताते हैं करीम के दौर में हाजी मस्तान का सितारा भी चमक रहा था। लोग उसके साथ जुड़ना चाहते थे। मुंबई पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल इब्राहिम कासकर के दो बेटे दाऊद इब्राहिम कासकर (दाऊद इब्राहिम) और शब्बीर इब्राहिम कासकर भी हाजी मस्तान की गैंग से जुड़ गए।इसके बाद दोनों ने करीम लाला के एरिया में तस्करी का धंधा शुरू कर दिया। बस लाला का दिमाग ठनक गया। और उसने दाऊद को घसीट-घसीट कर खूब पीटा ।दाऊद ने किसी तरह भागकरअपनी जान बचाई ।
तिलमिला गया था दाऊद
कुछ महीने बीते दाऊद फिर से करीम लाला के इलाके आया और धंधा करने लगा। जिसके बाद लाला ने दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या करवा दी। शब्बीर के कत्ल से दाऊद इब्राहिम तिलमिला उठा था और शब्बीर की मौत के ठीक पांच साल बाद 1986 में दाऊद इब्राहिम के गुर्गों ने करीम लाला के भाई रहीम खान को मौत के घाट उतार दिया था। बता दें 19 फरवरी 2002 को 90 साल की उम्र में को मुंबई में करीम लाला की मौत हो गई।

दाउद इब्राहिम को पीटा तो जान बचाकर भागा डॉन, गैंगस्टर करीम लाला की कहानी

तस्करी के धंधे में दाउद के आने से करीम लाला हैरान-परेशान था। दोनों के बीच दुश्मनी खुलकर सामने आ चुकी थी।
यूं तो मुंबई के सबसे बड़े डॉन के रूप में कई लोग दाउद इब्राहिम को देखते हैं। आज हम जिस गैंगस्टर की बात यहां कर रहे हैं उसके बारे में कहा जाता है कि एक बार उसने दाउद इब्राहिम को इतना पीटा था कि उसे जान बचाकर भागना पड़ा था। हम बात कर रहे हैं करीम लाला उर्फ अब्दुल करीम शेर खान की। अब्दुल करीम शेर खान का जन्म अफगानिस्तान के कुनार प्रक्षेत्र में हुआ था। ज्यादा पैसे कमाने की चाह में वो पाकिस्तान के पेशावर से होते हुए हिन्दुस्तान पहुंचा था। कहा जाता है कि अब्दुल करीम शेर खान एक खतरनाक अंडरवर्ल्ड डॉन था जो अवैध शराब के धंधे, जुआ, रंगदारी रैकेट समेत अन्य कई गैर कानूनी कामों में संलिप्त रहा है। 1960-80 के बीच करीम लाला जुर्म की दुनिया के बीच एक बड़ा नाम था। कहा जाता है कि कुख्यात करीम लाला ‘पठान गैंग’ का नेता था और मुंबई पर राज करता था।

एक वक्त था जब पठान समुदाय में करीम लाला की काफी इज्जत और हैसियत थी। बताया जाता है कि करीम लाला ने 1920 के आसपास तब के बॉम्बे (अब मुंबई) में अपना करियर एक साधारण वर्कर के तौर पर शुरू किया था। लेकिन इसके बाद उसने पठान गैंग ज्वायन कर लिया और फिर गैर-कानूनी रिकवरी एजेंट के तौर पर काम करने लगा। साल 2002 में करीम लाला की मौत हो गई थी।

करीम लाला के बारे में कहा जाता है कि वो मुंबई डॉक से हीरे और जवाहरात की तस्करी करने लगा था। 1940 तक उसने इस काम में एक तरफा पकड़ बना ली थी। आगे चलकर वह तस्करी के धंधे में किंग के नाम से मशहूर हो गया था। तस्करी के धंधे में उसे काफी मुनाफा हो रहा था। इसके बाद उसने मुंबई में कई जगहों पर दारू और जुएं के अड्डे भी खोल दिए। उसका काम और नाम दोनों ही बढ़ते जा रहे थे।
यह भी कहा जाता है कि मायानगरी में करीम लाला ने अपनी जबरदस्त पकड़ बना ली थी। व्यापार हो या बॉलीवुड सभी जगह उसके नाम की तूती बोलने लगी थी। उसी दौर में मुंबई पुलिस के हैड कांस्टेबल इब्राहिम कासकर के बेटे दाउद इब्राहिम कासकर और शब्बीर इब्राहिम कासकर तस्करी के धंधे में कूद पड़े। दोनों भाईयों ने इस धंधे में आते ही करीम लाला को चुनौती देने का काम किया। नतीजा यह हुआ कि पठान गैंग और दाउद गैंग के बीच दुश्मनी शुरू हो गई।

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